रंगिन रातमा फुलले शुवाष नदिया पक्षी
भौतारी अनायाशै काडाले कोतरे पक्षी
खाल्डा खुल्डी भंग्गालो मा झरी परेकै थियो
पाहाडयो छात्ती मा मेरो पहिरो गय पक्षी
रात झन् निष्पट भयो अशिना परे पक्षी
टिनको छाना कराउद सपना छुटे पक्षी
बेशाहारा जिबन तेसै झरी मा नि प्याशी
आगो बल्छ हृदयमा फुल माया सम्झिय पक्षी
तिमि काहा मा काहा छुट्टियको किन
उस्तै आगो उस्तै पानि दुवै भय पक्षी
"खलानको मान्छे
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